सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ता योगेश गौड़ा की हत्या से जुड़े 2016 के एक मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी को दी गयी जमानत शुक्रवार को रद्द कर दी. न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि रिकॉर्ड में पर्याप्त साक्ष्य हैं जो यह दर्शाते हैं कि विनय कुलकर्णी ने गवाहों से संपर्क करने या उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया.
पीठ ने कहा कि परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, इस कोर्ट की यह राय है कि कुलकर्णी को दी गई जमानत रद्द की जानी चाहिए. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि आरोपी संख्या 15, यानी प्रतिवादी को दी गई जमानत रद्द की जाती है.
आत्मसमर्पण करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही विनय कुलकर्णी को शुक्रवार से एक हफ्ते के भीतर संबंधित निचली अदालत या जेल प्राधिकरण के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश कर्नाटक सरकार के सीबीआई के माध्यम से दायर एक अपील पर पारित किया, जिसमें इस साल अप्रैल में बेंगलुरु की एक निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.
सीबीआई ने क्या आरोप लगाया?
निचली अदालत ने कुलकर्णी के मामले में इस तथ्य के मद्देनजर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2021 के आदेश के अनुसार जमानत दी गई थी. सीबीआई ने आरोप लगाया कि दो आरोपियों ने कुछ गवाहों से अभियोजन पक्ष के खिलाफ गवाही देने के लिए अपने दोस्तों और परिचित व्यक्तियों के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया.
सुप्रीम कोर्ट के सामने दलीलों के दौरान, सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि आरोपी ने प्रभाव डालने की कोशिश की और अभियोजन पक्ष के गवाहों से संपर्क करने और उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया.
जमानत रद्द करने की अपील का विरोध
विनय कुलकर्णी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने जमानत रद्द करने के अनुरोध का विरोध करते हुए दलील दी कि उन पर लगाई गई किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया गया है और वह एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हैं, जिन्होंने कभी न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं किया. सीबीआई ने गौड़ा की हत्या में कथित संलिप्तता के लिए नवंबर 2020 में कुलकर्णी को गिरफ्तार किया था.
जिम में कर दी गई थी हत्या
बीजेपी जिला पंचायत सदस्य गौड़ा की जून 2016 में धारवाड़ जिले में उनके जिम में हत्या कर दी गई थी. सितंबर 2019 में राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. कुलकर्णी ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है. सीबीआई ने पहले इस मामले में कई आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए थे.